शेयर बाजार में शेयर खरीद कर पैसा कमाया जा सकता है यह बात नया नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं बिना शेयर खरीदे हुए भी पैसा कमाया जा सकता है। लेकिन यह बात आप में से अधिकतर लोग नहीं जानते कि बिना शेयर खरीदते हुए भी पैसा कमाया जा सकता है और यह सच भी है।
और पैसे कमाने जैसा या इंटरेस्टिंग बात सबको अच्छी लगती है इस ट्रेडिंग तरीका को कहते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग। अक्सर इसके बारे में कहा जाता है कि बहुत कम समय में बहुत बड़ा अमाउंट कमाया जा सकता है। तो ऐसे में इस ट्रेडिंग बारे में जानना तो बनता है। तो आईए जानते हैं कि यह स्टॉक ट्रेडिंग से अलग क्यों है इसके फायदे और रिस्क क्या है यह कितने टाइप की होती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है
ऑप्शन ट्रेडिंग किसे कहते हैं यह एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट है जो फ्यूचर में आपको खरीदने और बेचने का अधिकार देता है ऑप्शन ट्रेडिंग यह एक तरह का डेरिवेटिव ट्रेडिंग है डेरिवेटिव ट्रेडिंग को समझना जरूरी है तो देखिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग स्टॉक मार्केट और कमोडिटी मार्केट दोनों में होती है आपको बता दे कि कमोडिटी में गोल्ड तेल और एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स आते हैं और स्टॉक में शेयर्स बॉन्ड म्युचुअल फंड्स और डेरिवेटिव्स एक्स्ट्रा आते हैं जहां स्टॉक ट्रेडिंग में आप कंपनी का एक हिस्सा खरीदते हैं वही डेरिवेटिव ट्रेडिंग में आप किसी भी चीज पर यानी अंडरलिंग एसिड की कीमत पर दाम लगाते हैं इसमें खास बात ही है कि वह चीज आपके पास होती नहीं है इस तरह की ट्रेडिंग में किसी चीज की कीमत बढ़ेगी या घटेगी इस पर दाम लगाया जाता है शेयर सोना तेल या कुछ और भी हो सकती है और इन्हें अंडरलिंग एसिड कहा जाता है।
आप इस चीज को खरीदें बिना ही इसके भाव पर पैसा कमा भी सकते हैं और गवा भी सकते हैं यही डेरिवेटिव ट्रेडिंग होते हैं फ्यूचर्स और ऑप्शन और इनके अलावा अदर डेरिवेटिव्स में फॉरवर्ड और स्वीप भी आते हैं तो डेरिवेटिव ट्रेडिंग की बेसिक कॉन्सेप्ट को समझ लेने के बादअब इसकी एक टाइप यानी ऑप्शन ट्रेडिंग पर फोकस करते हैं और यह जानते हैं कि यह ट्रेडिंग स्टॉक ट्रेडिंग से किस तरह अलग होती है।
तो स्टॉक को खरीदना जैसे आपकी अपनी दुकान खोलना है आप उसके ओनर बन जाते हैं और दुकान का पूरा फायदा नुकसान आपका होता है वही ऑप्शन खरीदना जैसे दुकान में सामान खरीदने का हक खरीदना है आप मलिक नहीं बनते बस यह हक खरीदते हैं कि आप भविष्य में सामान खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं और ऐसा करना ही है यह जरूरी भी नहीं है सामान खरीदना या बेचना चाहिए तो ऐसा करें वरना आप पर कोई दबाव या बंदिश नहीं होगी इस डेरिवेटिव ट्रेडिंग एक टाइप में आपके पास एक विकल्प यानी ऑप्शन होता है कि आप क्या करेंगे इसलिए इस तरह की ट्रेडिंग को ऑप्शन ट्रेडिंग कहा जाता है।।
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ऑप्शन कितने प्रकार के होते हैं
ऑप्शन मेनली दो प्रकार के होते हैं कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन वह कॉन्ट्रैक्ट थे जिसमें आपको किसी शेयर को एक फिक्स डेट तक एक फिक्स प्राइज पर फ्यूचर में खरीदने का हक मिलता है लेकिन खरीदना जरूरी नहीं है यह फिक्स डेट एक्सपायरी डेट कहलाती है और फिक्स पप्राइज स्ट्राइक प्राइज कहलाती है।
ऑप्शन प्रीमियम क्या होता है
ऑप्शन खरीदने के लिए छोटी सी रकम यानी प्रीमियम देते हैं यह प्रीमियम कई फैक्टर पर डिपेंड करता है जैसे कि शेयर की करंट प्राइज स्ट्राइक प्राइज एक्सपायरी डेट तक का टाइम एक्स्ट्रा मिलता है अगर शेयर की कीमत एक्सपायरी से पहले स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा हो जाती है तो कॉल ऑप्शन का प्रीमियम बढ़ जाता है। और शेयर की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम हो जाती है तो फूट ऑप्शन का प्रीमियम बढ़ जाता है ऐसे में आप इस हक का इस्तेमाल करके पैसा कमा सकते हैं।
स्ट्राइक प्राइज क्या होता है
जैसे मान लीजिए किसी कंपनी का शेयर ₹2000 का है अब आप सोचते हैं कि यह 2200 तक जाएगा तो आप एक 2200 वाला कॉल ऑप्शन खरीदते हो जिसकी एक्सपायरी 1 महीने के बाद है और स्ट्राइक प्राइस ₹2100 है आपने इसके लिए ₹50 प्रीमियम दिया है अब अगर उस कंपनी का शेयर ₹2200 हो जाता है तो आपके ऑप्शन की कीमत बढ़ जाएगी आप इसे बेचकर अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
लेकिन अगर उसे कंपनी का शेर ₹1800 हो जाता है तो आपके ऑप्शन की कीमत जीरो हो जाएगी और आपके ₹50 का नुकसान होगा इस तरह कॉल ऑप्शन से आपको फायदा और नुकसान दोनों हो सकते हैं। और अब बात करें पुट ऑप्शन की तो पुट ऑप्शन एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें आपको यह हक मिलता है कि आप किसी चीज जैसे कि शेयर को एक फिक्स्ड प्राइस पर और एक फिक्स्ड डेट तक बेच सकते हैं लेकिन ऐसा करना कंपलसरी नहीं है आप इस हक के लिए छोटी सी रकम यानी प्रीमियम देते हैं उसके बाद अगर उसे चीज की कीमत कम हो जाए तो आप अपने हिसाब का इस्तेमाल करके पैसा कमा सकते हैं जिस पर आप भविष्य में शेयर बेच सकते हैं।
किसी और बेहतर तरीके से समझने के लिए इस एग्जांपल को देखते हैं मान लीजिए कि आपने शेयर या ऐसे किसी एसिड में इन्वेस्ट कर रखा है और आपको डर है कि उसकी कीमत घट सकती है इसके लिए आप पुट ऑप्शन खरीद कर अपना लॉस कम कर सकते हैं इसकेलिए आप ₹100 का स्ट्राइक प्राइस का ऑप्शन खरीद सकते हैं और इसका मतलब है कि आप एक महीने बाद शेयर को ₹100 स्ट्राइक प्राइस वाला शेयर बेचने का अधिकार खरीद रहे हैं।
चाहे उसे समय शेयर की कीमत कुछ भी हो इसके लिए अपने ₹80 प्रति शेयर का प्रीमियम भी दिया है अब अगर एक महीने के बाद शेयर की कीमत ₹60 हो जाती है तो आप अपनी पुट ऑप्शन का इस्तेमाल करके शेयर को ₹100 में बेच सकते हैं इससे आपको हर शेर पर ₹20 का प्रॉफिट होगा लेकिन अगर एक महीने के बाद शेयर की कीमत 120 रुपए हो जाती है तो आप अपने पुट ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं करेंगे क्योंकि आप शेयर को बाजार में ₹120 में आसानी से बेच सकते हैं।
इस सिचुएशन में आपका पुट ऑप्शन बेकार हो जाएगा और आपने जो ₹80 का प्रीमियम दिया था वह आपको वापस नहीं मिलेगा तो इस तरह कॉल ऑप्शन आपको शेयर्स खरीदने का अधिकार देता है और पुट ऑप्शन बेचने का अधिकार देता है अगर आपको लगता है कि किसी चीज की कीमत बढ़ेगी तो कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल करें और अगर आपको लगता है कि किसी चीज की कीमत घटेगी तो पुट ऑप्शन का इस्तेमाल करें
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ऑप्शन में कौन सा स्ट्रेटेजी होती हैं
ऑप्शन ट्रेडिंग के इन दोनों टाइप्स के अलावा ऑप्शन ट्रेडिंग में कई तरह की स्ट्रेटेजी होती है यह स्ट्रैटेजिक मार्केट के बारे में आपका अनुमान के बेस पर बनाई जाती है जैसे अगर आपको लगता है कि कोई शेयर बढ़ेगा तो आप एक तरह की स्ट्रेटेजी को अपनाएंगे।
यह स्ट्रेटजी तीन प्रकार का होता है बुलिश ऑप्शन स्ट्रेटेजी,बैरिश ऑप्शन स्ट्रेटजी, न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटेजी बुलिश ऑप्शन स्ट्रेटजी का उपयोग हम उस समय करते हैं जिस समय हमको लगता है कि शेयर की कीमत बढ़ेगी, बैरिश ऑप्शन स्ट्रेटजी का उपयोग हम उसे समय करते हैं जिस समय हमको लगता है कि शेर की कीमत घटेगी, और न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटजी का उपयोग हम उसे समय करते हैं जिस समय हमको लगता है कि शेयर की कीमत नहीं बढ़ेगी नहीं घटेगी मतलब स्टेबल रहेगी।
लेकिन अगर आप ऑप्शन बाय करते हैं तो बुलिश ऑप्शन स्ट्रेटजी और बैरिश ऑप्शन स्ट्रेटजी ही इस्तेमाल करें। अगर आपने न्यूट्रल ऑप्शन स्ट्रेटजी का इस्तेमाल किया तो प्रीमियम स्टेबल होने के कारण जीरो हो सकता है और आपको बहुत बड़ा लॉस हो सकता है।।
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ऑप्शन ट्रेडिंग कहां की जाती है
ऑप्शन ट्रेडिंग कहां की जाती है तो भारत में आप इसे स्टॉक एक्सचेंज जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएससी और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बीएसई पर कर सकते हैं और एक ऐसा आदमी इंडियन सिटिजन जिसके पास एक वैलिड पैन कार्ड और आधार कार्ड है वह अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करके ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू कर सकता है।
आप कोई भी ब्रोकर के जरिए अपना डिमैट अकाउंट ओपन कर सकते हैं जैसे की एंजेल वन,ग्रो, जीरोधा, पेटीएम मनी, और भी कई ब्रोकर है जहां आप अपना डिमैट अकाउंट ओपन कर सकते हैं।।
ऑप्शन ट्रेडिंग लोग क्यों करते हैं
अभी के समय में किसी के पास उतना टाइम नहीं है कि 5 साल या 10 साल निवेश करके बैठे रहे। जल्दी पैसे बनाने के चक्कर में लोग ऑप्शन ट्रेडिंग करना बेहतर समझते हैं।
लेकिन आप जानते हैं की ऑप्शन ट्रेडिंग में आज अगर ₹5000 का प्रॉफिट हुआ तो कल 8000 जाना पक्का है छोटे इन्वेस्टर इसको समझ नहीं पाते हैं और एक का डबल करने के चक्कर में रोज ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में बहुत ही हाई रिस्क है और इसको करने के लिए बेसिक टू एडवांस कैंडलेस्टिक पेटर्न पता होना चाहिए।।
ऑप्शन ट्रेडिंग कहां सीख सकते हैं
वैसे तो ऑप्शन ट्रेडिंग कहीं भी सीख सकते हैं जैसे कोई ऑनलाइन कोर्स कर सकते हैं या यूट्यूब पर देख करके सीख सकते हैं या हमारा वेबसाइट stockbhoomi.com वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
(डिस्क्लेमर: कृपया ध्यान दें स्टॉकभूमि आपको कभी भी निवेश करने की सलाह नहीं देता शेयर बाजार जोखिम से भरा हुआ है कृपया कोई भी निवेश करने से पहले अपने सलाहकार से सलाह अवश्य लें स्टॉकभूमि पर दिया गया विचार स्टॉकभूमि का निजी विचार हो सकता है)